Happy women’s day….
तुम्हारी लम्बी खामोशियाँ अब….
जहाँ के कानों को खल रही हैं
पुराने मौसम बदलेंगे शायद
नयी हवाएं चल रही हैं
अबके बारिश बरसे जो बादल
बूँद बूँद तुम्हारी आवाज़ बरसे
वो पट्टी जो मुँह पे बंधी तुम्हारी
खोल भी दो
बोलो मेरी जान
अब बोल भी दो
छू न पायी , उन हिमालयों की चोटियों से
जली कटी सुनी जिनकी खातिर
उन कच्ची रोटियों से
दूध जिसको पाया नहीं ,
बस पकाया तुमने
सबको खिला के , बचा खुचा
जो खाया तुमने
बुला के सब को – आज पुराना हिसाब कर लो
अब उधारी नहीं बिकेंगे , ख्वाब मेरे
मोल भी दो
बोलो मेरी जान
अब बोल भी दो
कौन से रंग जंचते हैं मुझपे
अब मत बताना
समझाना मत
कितना चेहरा दिखाऊं
और कितना छिपाना
लिबास मेरे मन हैं
मन बस तुम्हारा नहीं है
मुझको धमकाने की और तरकीबें सोचो
मत कहो मुझसे के
क्या कहेगा ज़माना
एक मैं और मेरे किरदार कितने
कितना भारी जी है मेरा
तोल भी लो
बोलो मेरी जान
अब बोल भी दो
तुम्हारे कायदों की वो किताबें
जो तुम्हारे फायदों पे लिखी थीं
कब की जला दी
झगड़ के बस में आज जो अपनी सीट ले ली
तुम जले क्यों
वादा करके संसद में ही
कितनी सीटें दिला दी
भीड़ में अब जो कोई
मुझको बेवजह छुए
डरती नहीं – लड़ती मिलूंगी
तमाशा देखो ! तुम्हारी मर्ज़ी !
अपनी जंगें मैं लड़ूंगी
टेढ़े रास्तो की यूं आदत हुई है
चाँद भी देते हो दोस्त
तो अब गोल न दो
बोलो मेरी जान
अब बोल भी दो
Waahhh bhaiya waaaah
अतिउत्तम, सर्वश्रेष्ठम!!
Dhanyawaadam!😁
I ws just amazing to read those lines.
Quite deep those lines are.